यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित हैं इस कहानी के नाम और पात्र काल्पनिक है!!
..............ठेकेदार भाई तुम मुझे एक बगला दिलाने का वादा किये थे "बोलो कब दिला रहे हो अरे सेठ जी बगला तो रेडी हैं आप जब चाहो देख लो..... "तो चलो अभी दिखा दो... सियॉर ..सेठ जी (और दोनों बगला देखने आ गये )अरे भाई बगला तो बहुत सुंदर हैं " तुम इसका पेपर रेडी करो"जी सेठ जी पेपर भी रेडी है "बस आपके साइन का इंतजार है..... सुंदरलाल बंगले कि साफ सफाई करवाने लगते हैं "बंगला के पीछे दो कब्र था उसे भी तोड़ा दिया और उसे ढकवा भी दिया !!सुंदर लाल अगले दिन अपनी पत्नी के साथ बंगला में रहने आ जाते है !! ........सुनो जी अपने बेटे और बहु को यही बुला लेते हैं "वह अमेरिका में कब तक रहेंगे...... "ठीक है तुम फोन कर दो वह यही रहेगा और मेरे सारे काम को वही देखेगा....... सुंदर लाल एक जाने माने सेठ थे "वह प्राँप्टी डिलर थे.... शहर में 5/6 बंगला केवल शैक से रखे थे!! अगले दिन बेटा रोहन, बहु मनीष, और नातनी शिनू अमेरिका से आ जाते हैं.... दादी माँ.... दादी माँ...... आप कैसी हो... मैं बहुत अच्छी हूँ... बहु तुम शिनू को लेकर अंदर जाओ... "जी मम्मी जी......रोहन मैं और तेरे पापा अस्पताल जा रहे हैं, कुछ दिनों से मेरी सीने में बहुत दर्द रहता है हम शहर से बाहर जा रहे हैं..... " ठीक है माँ ........अब घर में रोहन उसकी पत्नी और बेटी रह गये....... सभी खाना खा करे सोने चले गये..... रात का 1 बज रहा था ! अचानक घर में कुछ गिरने कि आवाज आती हैं और मनीषा की आँख खुल जाती हैं तभी मनीषा की नजर अपने रूम के दरवाजे पर जाती हैं !! वहाँ पर कोई था और वह भाग कर खिड़की के पास आ जाता है तभी मनीषा....रोहन..... रोहन उठो उठो वहाँ पर कोई हैं.... "अरे यार सो जाओ कोई बिल्ला 🐱 होगी ......नही वह कोई आदमी जैसा था.... तभी फिर से कुछ गिरने की आवाज आती है..... मनीषा डोर खोल कर धीरे धीरे दबे पाँव सारे घर में देखती है पर कोई दिखाई नहीं देता है।। फिर किसी के चलने कि आवाज आती हैं " मनीषा बहुत डर जाती हैं तभी सामने से रोहन आता हैं।। "अरे यार तुम भी ना "कोई नहीं है यहाँ चलो सोते है... नहीं रोहन नीचे से कुछ गिरने की आवाज आई है चलो पहले नीचे चल कर देख लेते हैं........ दोनों नीचे आते लाईट आॅन करते ही उनकी नजर नीचे गिरा फेमिली फोटो पर गया वह गिरा कर टूट गया था। तभी उपर कुछ चहल कदमी की आवाज आती है " दोनों दौड़ कर उपर जाते हैं जाते समय मनीषा ने देखा की स्टोर रुम का दरवाजा खुला हुआ है...... "रोहन देखो जब हम नीचे गये थे तब स्टोर रुम का दरवाजा बंद था और अभी खुला हुआ है.....दोनों दौड़ कर शिनू के कमरे के पास जाते हैं, कमरे का दरवाजा तो खुला हुआ है और शिनू बेड के उपर हवा में झूल रही हैं.... "यह देख कर दोनों डर जाते हैं... रोहन कमरे में घूस जाता है और शिनू को पकड़ने का कोशिश करता है... तभी कमरे का दरवाजा अंदर से बंद हो जाता है और शिनू बेड पर गिर जाती हैं।। रोहन शिनू को लेकर बाहर भागता है पिछे पिछे मनीषा भी दौड़ कर घर से बाहर आ जाती हैं। .........सुबह होने पर रोहन एक तांत्रिक को भुला कर लाता है तांत्रिक पूरे घर में घुम कर देखता हैं और स्टोर रुम में घूस जाता है कुछ देर बाद वही गिर जाता है ......."' रोहन से बोलता हैं की जितना जल्दी हो इस घर के पुराने फोटो और समान को जला दो वरना तुम मे से कोई नहीं बचेगा । मैं एक सादा कागज स्टोर रुम मे रख देता हूँ , कल मै आउंगा। मैं जब तक ना आऊ तब तक तुम सब अपने कमरे से बाहर मत निकलना, और तांत्रिक कमरे के बाहर से एक ताबीज लगा कर दरवाजा बंद कर देता है और चला जाता है।।।। रात के ठीक बारह बजने पर घर में चिखने और चिल्लाने कि आवाजे आने लगती हैं सब डर कर एक जगह पर छिप जाते हैं....... ....और तभी रोहन के मोबाइल पर रिंग होता है..... सब डर के मारे कापने लगते हैं.... रोहन डरते डरते फोन उठाया..... ह.... ह... हल.... हल्ला... """अरे रोहन बेटा वहा बस ठीक है ना तुम्हारी आवाज को क्या हुआ.... ".... माँ यहाँ कुछ भी ठीक नही है तुम लोग जल्दी आ जाओ"हाँ बेटा हम लोग सुबह तक पहुंच जायेंगे। और फोन कट जाता है.... कमरे के बाहर बहुत अजीब अजीब आवाजे आ रही है ...कभी रोहन का मन होता है कि यह जो कोई हैं इसे बहर जा कर पकड़ ले और इतन मारे कि वह दुबारा ऐसी हरकत ना करे... पर तांत्रिक बाहर निकलने से मना किया है..... इस लिए सुबह होने का इंतजार करता है "अचानक मनीषा की नजर दरवाजे के नीचे जाती हैं..... "रोहन... रोहन वह देखो दरवाजे के नीचे से खून बह रहा है और खून अंदर आ रही है..... वो माई गाॅड.... यह तो सचमुच खून ही है सब बेड के उपर चढ़ जाते हैं... अब तक सुबह के छह: बज गये थे " तभी कमरे का दरवाजा कोई जोर जोर से खटकता है... क.. क.. को.. कौन है बाहर.... रोहन डरते डरते बोलामैं तांत्रिक हूँ दरवाजा खोलो रोहन तुंरत दरवाज खोलता हैं और सब कमरे के बाहर आ जाते हैं "तांत्रिक स्टोर रुम का दरवाजा खोल कर अदरं जाता है और उसने जो कागज रखा था वह उठा कर देखता हैं.... कागज मे कुछ लिखा हुआ था !! लाल रंग में "वह रोहन को दिखाता है *उस पर लिखा हुआ था मेरे घर से चल जाओ वरना तुम सब मारे जाओगे..... "यह सब क्या हो रहा है कौन हो तुम क्या कर रहे हो रहा.. रोहन के पापा की आवाज आई... " सेठ ने तांत्रिक को घर से भगा दिया ....रोहन और मनीषा ने सब धटना बताया "पर सेठ को उस पर जरा भी यकीन नही हुआ... "आप तो एक रात भी नहीं रुके यहाँ पर आपको क्या पता होगा" शायद आपने जान बुझ कर यह बंगला मेरे नाम पर खरीदा हैं " रोहन गुस्से मे बोला ".. ठीक ऐसी बात है तो मै आज रात यहाँ अकेले ही रहूंगा, जाओ तुम लोग ....सेठ रामलाला बहुत दबंग स्टाइल का था उसे लग रहा था कि रोहन जान बुझ कर ऐसा बोल रहा है ताकि वह दुबारा अमेरिका जा सके....... रात में सेठ ने एक टेबल पर कुछ खाने का सामने और शराब सामने रख कर बड़ बडा़ते हुये शराब पी रहा था।। रोहन मुझे क्या समझा है तुम "मै डरपोक नही हुँ...... आज देख लुंगा कौन भूत हैं यहाँ पर ....आ.... आ... हिम्मत है तो मेरे सामने.... आ... तुमसे बड़ा भूत मैं हूँ.... लोग मुझे देख कर काँपते है..... मैं नहीं डरता किसी भूत ऊत से..... और शराब पर शराब पीने जा रहा था..... अचानक बिजली गुल हो गई...... फिर जोर से एक हवा घर मे आया और घर के सभी परदे हिलने लगे...... "ये बिजली भी अभी ही जाना था ..सेठ ने बड़ बडा़या अरे ये मोमबत्ती भी कहा रखा है...... मोमबत्ती जाते ही उसके सामने एक औरत आई लाल लाल आँखे बिखरे बाल अध जला चेहरा लम्बे लम्बे नाखुन.... उसे देखते ही सेठ का मुंह से चीख निकल गया.... सेठ बेहोश हो कर नीचे गिर गया.... तभी रोहन उस तात्रिंक को लेकर पहुँच जाता है... घर का बिजली आॅन करता है!!! पापा.... पापा आप कहा हो, रोहन और तात्रिंक पुरा घर मे ढुंढ लेते हैं पर सेठ का कही अता पता नहीं था।। तब तात्रिंक अपने मंत्र की शक्ति से देखता हैं की सेठ बंगले के पीछे जो कब्र हैं वह वही है।। रोहन दौड़ कर जाता है।।।।... "पापा पापा उठो आपको क्या हो गया है.... रोहन सेठ के चेहरे पर पानी की कुछ छिटे मारता हैं और सेठ कि आँखें खुल जाती हैं पर सेठ इतना डरा हुआ था कि उसके मुंह से कुछ आवाज नही निकल रही थी..........