OUR PROJECT
नि:शुल्क प्रशिक्षण/रोजगार कोर्स
गरीब महिलाओं और पुरुषो के लिए 30 से ज्यादा नि:शुल्क प्रशिक्षण कोर्स की व्यवस्था, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। अपना रोजगार कर सके।Basic Computer, Website Create or designing, Health workr, Photo sadudio, Printing press, Screen Printing, Electrical Bijli repairing, Compounder, ACUPRESSURE THERAPY, Hijama Cupping Therapy, Vastushastra, Massage Therapy, Color therapy, Mobile Shop & Mobile repairing , watch repairing बकरी पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन, गाय पालन, मछली पालन, मसरुम उधोग, खेती प्रशिक्षण! सिलाई प्रशिक्षण, ब्यूटीशियन प्रशिक्षण, अन्य रोजगार प्रशिक्षण और भी बहुत सारे कोर्स का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बेरोज़गारी
आज देश बेरोज़गारी के भयानक संकट से जझू रहा है। बड़ी-बड़ी डिग्रीयां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं । नए रोज़गार का सजृ न करना तो दुर, देश भर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वकेैंसी पर भर्ति नहीं की जा रही है, जहां भर्ति हो भी रही हैं । ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जिससें काम करने के बावजदू लोगों की घर की आर्थिक जरुरतो को पुरा करना मुश्किल हो रहा हैं। प्राइवटे सेक्टर में भी रोज़गार के नए अवसर पैदा न होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर पर गिर रही है। बेरोज़गारी के समाधान के लिए भारत में आज़ादी के बाद जिस तरह की नीतियों को बनाने की ज़रूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियााँ नहीं बनाई । यही मख्य कारण है जिसकी वजह से आज़ादी के सात दशकों के बाद भी, रोज़गार का अवसर - सभी के लिए जरूरतों में से एक, पहले से ही बेरोज़गारी की मार झेल रही हमारी अथवव्यस्था को कोरोना ने और अधिक चितांजनक स्थिति में पहुंचा दिया । आज बेरोज़गारी की समस्या सिर्फ गांव के लोगों की ही नहीं बल्की जो लोग बड़े-बड़े शहरों में रहते हैं, जिनके पास बड़ी-बड़ी डिग्रीयां हैं वे भी इस बेरोज़गारी की मार झले रहे हैं। सभी जाति के लोग बेरोज़गारी के संकट की इस चनुौती से जझू रहे हैं। कोई भी बेरोज़गारी की इस मार से नहीं बच पाया है । बेरोज़गारी का समाधान क्या है ? ‘MK SEVA SANSTHA’ जो एक समाजिक संगठन है और ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ की विचारधारा के आधार पर राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य कर रहा है। सकारात्मक राष्ट्रवाद का मानना है की, बेरोज़गारी की समस्या का समाधान - ‘राष्ट्रीय रोज़गार निति’ है । ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ के अनसुार रोज़गार सिर्फ आर्थिक मसला नहीं है बल्की राष्ट्र नव निर्माण में सबकी हिस्सेदारी का भी मसला है ।
इंसान सिर्फ रोटी खाकर जिंदा नहीं रह सकता है । रोटी खाने से उसके शरीर की जरूरत पुरी होती है। आर्थिक जरुरतो को पुरा कैसे करें ! अगर आप भी बेरोजगारी की मार से जुझ रहे हैं तो तुरंत हमारे नंबर पर कॉल करें 01169312904